असरकारक अजवाइन



अजवाइन एंटिफंगल, एंटीऑक्सिडेंट, एंटीमाइक्रोबियल, एंटिनोसिसेप्टिव, एंटी हायपरटेन्सिव, एंटीस्पॅज़्मॉडिक, एंटीलीथियाटिक, एंटीट्यूसिव, एंटीहैल्मिंटिक एवं एंटीफ़ायलेरियल भी है।
अजवाइन का प्रयोग मसाले के रूप में सदियों से किया जाता रहा है किंतु कई बीमारियों के घरेलु उपचार में यह बहुपयोगी है। अजवाइन के बीजों में थाइमॉल नामक एक इसेंशियल ऑइल के कारण इसका इतना महत्त्व है जो अंतड़ियों की सफाई में सहायक होने के साथ दर्द को दूर भगाने में भी सहायता करता है

अजवाइन के लाभ

1) पेट ः

 अजवाइन जठर आँत्रीय स्रावों को बढ़ाती है जिससे अपच जैसी समस्याएँ ठीक होती हैं। गैस, पेटदर्द, उल्टी, बवासीर इत्यादि में उपयोगी होती है यानी कि गले से गुदा द्वार तक पूरे पाचन तंत्र की रोग हरणी होती है अजवाइन। पुराने लोग खाने के बाद अजवाइन फाँकने (सौंफ जैसे दाने चबाने) की सलाह देते हैं।

2) गला ः

 ये दाने एंटीबैक्टिरियल व एंटिफंगल होते हैं। कफ व अस्थमा की औषधि के साथ इनका प्रयोग एंटिसेप्टिक के भी रूप में किया जाता है। एंटीट्यूसिव होने से यह कफ सप्रेसेण्ट है।

3) प्रतिरक्षा तंत्र :

 अजवाइन साँस की बीमारियों, सर्दी, जुकाम, खाँसी, गला व नाक बंद होने जैसी परेशानियों से उभरने में सहायक है।

4) पैरों का दर्द :

 अजवाइन तेल से पैरों की मालिश करने से र्‍यूमेटिक आर्थराइटिस का इलाज किया जाता है।

5) दाँत दर्द :

 दाँतों में दर्द सताए तो अजवाइन के पानी के गरारे लें। अजवाइन के धुएँ से भी फायदा मिलता है। एंटिनोसिसेप्टिव होने से अजवाइन सेंसरी न्यूरॉन्स की क्रिया को दबा देती है जिससे पीड़ा निवारक के रूप में भी काम आती है।

6) पेट के कीड़े : 

यह निमेटोड सहित अन्य पेट के कीड़ों को हमारे शरीर से साफ कर देता है।

7) ऐंठन :

 एंटी स्पॅस्मोडिक होने से अजवाइन अनैच्छिक पेशियों की ऐंठन में राहत देती है।

8) रक्तचाप :

 एंटिहायपरटेन्सिव होने से यह बढ़े रक्तचाप को घटाती है।

9) खून साफ करे : 

यह हायपोलिपिडॅमिक (लिपिड-लोवरिंग एजेण्ट) होने से रक्त में वसा व लिपिड, विशेषतः कोलेस्ट्रोल को कम करती है।

10) पथरी :

 एंटीलिथियाटिक होने से यह गुर्दे व मूत्राशय में खनिजों के जमने से होनेवाली पथरी को गलाने में सहयोग करती है।

अजवाइन का सेवन कैसे करें?

  • कच्ची या फिर भुनकर : सादे अथवा भुने हुए दाने सीधे चबाकर, विशेष तौर पर भोजन के बाद लें।
  •  कच्चे अथवा भुँजे दानों को पानी में उबालकर, इच्छा हो तो पंच लवण या फिर सेंधा नमक व हल्दी इत्यादि का मिश्रण बनाकर लें।
  • सब्ज़ियों में डालकर भी खा सकते हैं।
  • यदि कील मुँहासे कम करने में उपयोग करना हो तो अजवाइन के बीजों को कुचलकर दही मिलाते हुए चेहरे पर लगाएँ।

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