अच्छा सोचिए सेहतमंद बनिए।

नेगेटिव सोच शरीर को अस्वस्थ बनाती है। प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देती है। सकारात्मक सोच शरीर को स्वस्थ और तनावमुक्त रखती है। ज्यादा सोचने से भूलने की प्रक्रिया विकसित होती है। इन दिनों युवा डिप्रेशन से ग्र्र्र्र्रस्त हो रहे हैं। इसकी सबसे बडी वजह यही है कि उसकी सोच, कॉम्पिटिशन और आगे बढने की होड में उलझती जा रही है। नेगेटिव सोच से कॉन्फिडन्स कम हो जाता है। इन्सान अपने दिमाग का सिर्फ 10 से 15 प्रतिशत ही इस्तेमाल करता है । ऐसे में अगर सोच नकारात्मक होगी तो नि:संदेह दिमाग भ्रमित हो सकता है। अच्छी सोच से सेहत अच्छी रहती है। ठीक इसके विपरित बुरी सोच से व्यक्ति हताश से घिर जाता है। दरअसल खुशी से शरीर की धमनियाँ सजग और संचेत रहती हैं। सोच का सबसे ज्यादा प्रभाव चेहरे पर पडता है। चिंता और थकान से चेहरे की रौनक गायब हो जाती है। आँखों के नचे कालिख और समय से पूर्व झुर्रियां इसी बात को सबूत हैं। शरीर में साइकोसोमैटिक प्रभाव के कारण स्वास्थ्य बनता है और बिगडता है। धूम्रपान, धूल, धूएँ के अलावा अस्वस्थ सोच से इन्सान दिन-प्रतिदिन पीडित हो रहा है। मनुष्य अपने दु:ख से दु:खी नहीं दूसरों के सुख से ज्यादा दु:खी हैं। उसकी यह सोच अनेक रोगों को बढा देती है। हमारे सोचने के ढंग को हमारा व्यक्तित्व भलीभाँति परिभाषित कर देता है, क्योंकि चेहरा व्यक्तित्व का आईना है। शरीर पर रोगों के प्रभाव और सोच का गहरा संबंध है। अत्यधिक सोच के फलस्वरूप गैस अधिक मात्रा में बनती है और पाचन क्रिया बिगड जाती है। सिर के बाल झडने लगते हैं शरीर कई रोगों का शिकार हो जाता है। अत्याधिक सोचने से असमय बुढापा घेर लेता है। हाय ब्लडप्रेशर, हार्टअटैक का कारण बनता है। शंका, रोग दूर करने में अवरोध का काम करती है। रोग का निवारण रोगों के विश्‍वास से होता है। डॉक्टर की दवा से नहीं। दवा दी जा रही हैं यह भावना अधिक काम करती है। नदियों का स्त्रोत यदि मिलाय है तो हमारी सेहत का स्त्रोत हमारा स्वस्थ मन है। यदि युवा रोज सोते समय पॉजिटिव थिंकिंग से खुद को सेचुरेट करे, तो वह अनेक रोगों का सफल व स्थायी उपचार कर सकता है। स्वस्थ रहना आसान है । जरूरत है तो सिर्फ सकारात्मक सोच से सेहत बनती है और नकारात्मक सोेच अनेक मनोशारीरिक रोगों को जन्म देती है। अगर सोच को समय के साथ की लकिरें चेहरे पर खिंच नहीं सकती स्वस्थ व्यक्ति सकारात्मक सोच से हर चीज को देखता है, जबकि अस्वस्थ व्यक्ति की सोच नकारात्मक रूप से सामने आती है।




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